श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 7: भगवद्ज्ञान  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.6 
 
 
एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय ।
अहं कृत्स्नस्य जगत: प्रभव: प्रलयस्तथा ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  सभी प्राणियों की उत्पत्ति इन दोनों शक्तियों से होती है। इस संसार में जो कुछ भी भौतिक और आध्यात्मिक है, उसकी उत्पत्ति और विनाश मैं ही हूँ, यह निश्चित रूप से जान लो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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