साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु: ।
प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस: ॥ ३० ॥
अनुवाद
मेरी पूर्ण चेतना में रहने वाले वे लोग जो मुझे, परमेश्वर को, इस भौतिक संसार, देवताओं और सभी प्रकार के यज्ञों का नियंत्रक समझते हैं, वे मृत्यु के समय भी मुझे, भगवान को जान और समझ सकते हैं।
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत सातवाँ अध्याय समाप्त होता है ।