श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 7: भगवद्ज्ञान  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.15 
 
 
न मां दुष्कृतिनो मूढा: प्रपद्यन्ते नराधमा: ।
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिता: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  वे निपट मूर्ख जो मनुष्यों में अधम हैं, जिनके ज्ञान को माया ने छीन लिया है और जो असुरों के नास्तिक स्वभाव को धारण करते हैं, ऐसे दुष्ट मेरी शरण में नहीं आते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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