आत्मसाक्षात्कार पाकर सिद्ध हो जाता है और योगी कहलाता है जब वह अपने ज्ञान और अनुभूति से पूर्ण संतुष्टि प्राप्त कर लेता है। ऐसा व्यक्ति अध्यात्म में स्थित और आत्म-नियंत्रित कहलाता है। वह हर वस्तु को—चाहे वह कंकड़ हो, पत्थर हो या सोना—समान रूप से देखता है।