श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 6: ध्यानयोग  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  6.3 
 
 
आरुरुक्षोर्मुनेर्योगं कर्म कारणमुच्यते ।
योगारूढस्यतस्यैव शम: कारणमुच्यते ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  जो अष्टांग योग के नवसाधक है, उसके लिए कर्म ही साधन माना जाता है; और जो योगसिद्ध पुरुष होते हैं, उनके लिए सभी भौतिक कार्यकलापों को करना छोड़ देना ही साधन माना जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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