योग अभ्यास के लिए योगी को एकांत स्थान में जाना चाहिए और जमीन पर कुशा बिछा देना चाहिए। फिर उसे मृगचर्म से ढक देना चाहिए और ऊपर से मुलायम कपड़ा बिछा देना चाहिए। आसन न तो बहुत ऊँचा होना चाहिए और न ही बहुत नीचा। यह पवित्र स्थान पर स्थित होना चाहिए। योगी को चाहिए कि वह इस पर दृढ़तापूर्वक बैठ जाए और मन, इंद्रियों और कर्मों को वश में करते हुए तथा मन को एक बिंदु पर स्थिर करके हृदय को शुद्ध करने के लिए योगाभ्यास करे।