नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभु: ।
अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तव: ॥ १५ ॥
अनुवाद
परमेश्वर न तो किसी के पापों को और न ही पुण्यों को अपने ऊपर लेता है। लेकिन सारे सांसारिक जीव अज्ञानता के कारण मोहग्रस्त रहते हैं जो उनके वास्तविक ज्ञान को ढक लेती है।