जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः ।
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ॥ ९ ॥
अनुवाद
हे अर्जुन! जो मेरे प्रकट होने और कार्यों की दिव्य प्रकृति को जानता है, वह शरीर छोड़ने के बाद इस भौतिक संसार में फिर से जन्म नहीं लेता, बल्कि मेरे शाश्वत धाम को प्राप्त होता है।