श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 4: दिव्य ज्ञान  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  4.34 
 
 
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्न‍ेन सेवया ।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  सत्य जानने के लिए एक आध्यात्मिक गुरु के पास जाकर प्रयास करो। उनसे विनम्रतापूर्वक पूछो और उनकी सेवा करो। स्वयं-साक्षात्कार किए हुए व्यक्ति तुम्हें ज्ञान प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य का अनुभव किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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