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श्रीमद् भगवद्-गीता
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अध्याय 4: दिव्य ज्ञान
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श्लोक 29
श्लोक
4.29
अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे ।
प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः ।
अपरे नियताहाराः प्राणान्प्राणेषु जुह्वति ॥ २९ ॥
अनुवाद
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वे लोग जो समाधि में रहने के लिए श्वास को रोककर रखते हैं, वे अपान में प्राण और प्राण में अपान को रोकने का अभ्यास करते हैं और अंत में प्राण-अपान को रोककर समाधि में रहते हैं। कुछ अन्य योगी कम भोजन करके प्राण की प्राण में ही आहुति देते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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