एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः ।
कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
प्राचीन काल की सभी मुक्त आत्माओं ने मेरे दिव्य स्वरूप को जानकर ही कर्म किया था। इसलिए तुम्हें चाहिए कि उनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करो।