द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च ।
दैवो विस्तरश: प्रोक्त आसुरं पार्थ मे शृणु ॥ ६ ॥
अनुवाद
हे पृथापुत्र! इस दुनिया में प्राणी दो प्रकार के होते हैं- दैवी और आसुरी। मैंने पहले ही तुम्हें दैवी गुणों को विस्तार से समझा दिया है। अब मुझसे आसुरी गुणों के बारे में सुनो।