श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  15.6 
 
 
न तद्भ‍ासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावक: ।
यद्ग‍त्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  मेरा वो परम धाम ना सूरज के प्रकाश से जगमगाता है, ना ही चांद के प्रकाश से, ना ही आग से और ना ही बिजली से। क्योंकि जो भी वहाँ पहुँच जाता है, वो फिर से इस भौतिक दुनिया में नहीं लौटता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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