अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा
गुणप्रवृद्धा विषयप्रवाला: ।
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि
कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके ॥ २ ॥
अनुवाद
इस पेड़ की शाखाएँ ऊपर और नीचे फैली हुई हैं और प्रकृति के तीन गुणों द्वारा पोषित हैं। इसकी टहनियाँ इंद्रियों के विषय हैं। इस पेड़ की जड़ें नीचे की ओर भी जाती हैं और ये मानव समाज के स्वार्थी कार्यों से बंधी हुई हैं।