श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग » श्लोक 12 |
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| | श्लोक 15.12  | |  | | यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम् ।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम् ॥ १२ ॥ | | अनुवाद | | सारे विश्व के अंधकार को दूर करने वाला सूर्य का प्रकाश मुझी से ही निकलता है। उसी प्रकार, चंद्रमा और अग्नि का प्रकाश भी मुझी से उत्पन्न होता है। | |
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