श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  15.1 
 
 
श्रीभगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमध:शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा—ऐसा कहा जाता है कि एक शाश्वत अश्वत्थ वृक्ष है, जिसकी जड़ें ऊपर की ओर हैं, शाखाएँ नीचे की ओर और पत्तियाँ वैदिक स्तोत्र हैं। जो इस वृक्ष को जानता है, वह वेदों का ज्ञाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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