ऋषिभिर्बहुधा गीतं छन्दोभिर्विविधै: पृथक् ।
ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव हेतुमद्भिर्विनिश्चितै: ॥ ५ ॥
अनुवाद
विभिन्न वैदिक ग्रंथों में विभिन्न ऋषियों ने कार्यकलापों के क्षेत्र और उन कार्यकलापों को जानने वालों के ज्ञान का वर्णन किया है। इसे विशेष रूप से वेदान्त सूत्र में कार्य-कारण के सभी तर्कों के साथ प्रस्तुत किया गया है।