समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम् ।
विनश्यत्स्वविनश्यन्तं य: पश्यति स पश्यति ॥ २८ ॥
अनुवाद
जो परमात्मा को सब शरीरों में आत्मा के साथ देखता है और जो यह समझता है कि इस नष्ट होने वाले शरीर के अंदर न तो आत्मा और न ही परमात्मा कभी नष्ट होते हैं, वह वास्तव में देखता है।