य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणै: सह ।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते ॥ २४ ॥
अनुवाद
जो व्यक्ति प्रकृति, जीव और प्रकृति के गुणों की पारस्परिक क्रिया से संबंधित इस दर्शन को समझ लेता है, उसे मोक्ष प्राप्ति निश्चित है। उसकी वर्तमान स्थिति चाहे जैसी भी हो, यहाँ उसका पुनर्जन्म नहीं होगा।