श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 13: प्रकृति, पुरुष तथा चेतना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  13.23 
 
 
उपद्रष्टानुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वर: ।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुष: पर: ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  फिर भी इस शरीर में एक दूसरा पारलौकिक भोक्ता है, जो ईश्वर है, परम स्वामी है और द्रष्टा व अनुमति देने वाले के रूप में विद्यमान है और जिसे परमात्मा कहा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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