श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 12: भक्तियोग  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  12.10 
 
 
अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव ।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  यदि तुम भक्ति-योग के नियमों और विधियों का पालन नहीं कर सकते, तो कम से कम मेरे लिए कर्म करो, क्योंकि मेरे लिए कर्म करने से तुम पूर्णता (सिद्धि) प्राप्त करोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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