श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 12: भक्तियोग  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  12.1 
 
 
अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमा: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  अर्जुन ने प्रश्न किया: जो लोग सदैव आपकी भक्ति में तत्पर रहते हैं और जो लोग निर्गुण ब्रह्म की पूजा करते हैं, इन दोनों में से किसे अधिक पूर्ण माना जाता है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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