अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमा: ॥ १ ॥
अनुवाद
अर्जुन ने प्रश्न किया: जो लोग सदैव आपकी भक्ति में तत्पर रहते हैं और जो लोग निर्गुण ब्रह्म की पूजा करते हैं, इन दोनों में से किसे अधिक पूर्ण माना जाता है?