पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा ।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥ ६ ॥
अनुवाद
हे भारत! लो, तुम आदित्यों, वसुओं, रुद्रों, अश्विनीकुमारों तथा अन्य देवों के विभिन्न स्वरूपों को यहाँ देखो। तुम वे अनेक आश्चर्यजनक रूपों को देखो, जिन्हें पहले कभी किसी ने न तो देखा है, न सुना है।