सञ्जय उवाच
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा
स्वकं रूपं दर्शयामास भूय: ।
आश्वासयामास च भीतमेनं
भूत्वा पुन: सौम्यवपुर्महात्मा ॥ ५० ॥
अनुवाद
संजय ने धृतराष्ट्र से कहा – इस प्रकार अर्जुन से कहने के पश्चात भगवान कृष्ण ने अपना असली चतुर्भुज रूप प्रकट किया और अंत में दो भुजाओं वाले अपने रूप को दिखाकर भयभीत अर्जुन को सांत्वना दी।