श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 11: विराट रूप  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  11.36 
 
 
अर्जुन उवाच
स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या
जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च ।
रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति
सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसङ्घा: ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  अर्जुन ने कहा—हे हृषिकेश! आपके नाम के सुनाई पड़ने से संसार आनंदमय हो जाता है और लोग आपमें रम जाते हैं। यद्यपि ऋषि-मुनि और सिद्धपुरुष आपको पूजते हैं, पर असुरगण डरते हैं और इधर-उधर भाग रहे हैं। यह उचित है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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