वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भगवद्-गीता
»
अध्याय 11: विराट रूप
»
श्लोक 32
श्लोक
11.32
श्रीभगवानुवाच
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त: ।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे
येऽवस्थिता: प्रत्यनीकेषु योधा: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
परमेश्वर ने कहा- मैं काल हूँ, समस्त संसार का विनाशकर्ता हूँ और मैं यहाँ सभी लोगों का विनाश करने आया हूँ। तुम [पाण्डवों] के सिवाय दोनों पक्षों के सभी सैनिक मारे जाएँगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.