श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 11: विराट रूप  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  11.1 
 
 
अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम् ।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  अर्जुन बोले—आपने जिन अति गुप्त आध्यात्मिक विषयों का मुझे उपदेश दिया, उन्हें सुनकर अब मेरा भ्रम दूर हो गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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