श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 10: श्रीभगवान् का ऐश्वर्य  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  10.8 
 
 
अहं सर्वस्य प्रभवो मत्त: सर्वं प्रवर्तते ।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विता: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  मैं ही समस्त आध्यात्मिक और भौतिक जगत का आदि कारण हूँ। प्रत्येक वस्तु मुझसे ही उत्पन्न होती है। जो लोग बुद्धिमान हैं और यह अच्छी तरह से जानते हैं, वे मेरी भक्ति में लगते हैं और सच्चे मन से मेरी पूजा करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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