श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 10: श्रीभगवान् का ऐश्वर्य » श्लोक 39 |
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| | श्लोक 10.39  | |  | | यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन ।
न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम् ॥ ३९ ॥ | | अनुवाद | | और तो और, हे अर्जुन ! मैं समस्त सृष्टि का उत्पादक बीज हूँ। ऐसा चलायमान या अचल कोई प्राणी नहीं है जो मेरे बिना रह सके। | |
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