श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 10: श्रीभगवान् का ऐश्वर्य  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  10.31 
 
 
पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ, हथियारों के धारकों में मैं राम हूँ, मछलियों में मैं शार्क हूँ, बहती नदियों में मैं गंगा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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