श्रीभगवानुवाच
भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वच: ।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ १ ॥
अनुवाद
श्री भगवान् बोले- हे महाबाहु अर्जुन! और आगे भी सुनो। क्योंकि तुम मेरे प्रिय मित्र हो, इसलिए मैं तुम्हारे लाभ के लिए ऐसा ज्ञान दूँगा, जो अभी तक मेरे द्वारा बताए गए ज्ञान से श्रेष्ठ होगा।