श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  1.45 
 
 
यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि धृतराष्ट्र के शस्त्रधारी पुत्र युद्धक्षेत्र में मेरे असहाय तथा प्रतिरोध न करने के कारण मुझे मार डालें, तो यह मेरे लिए कल्याणकारी होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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