श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  1.43 
 
 
उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन ।
नरके नियतं वासो भवतीत्यनुश‍ुश्रुम ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रजापालक कृष्ण! गुरुओं की परम्परा से मैंने सुना है कि वो लोग जो अपने कुल के धर्म का नाश कर देते हैं, सदैव नरक में ही रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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