वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भगवद्-गीता
»
अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग
»
श्लोक 40
श्लोक
1.40
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः ।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः ॥ ४० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे कृष्ण! जब कुल में अधर्म बढ़ता है, तो कुल की स्त्रियाँ कलंकित होती हैं और इस प्रकार स्त्रीत्व के गिरने से हे वृष्णिवंशी! अवांछित सन्तानें पैदा होती हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.