श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  1.39 
 
 
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  वंश के नष्ट हो जाने से उस कुल की परंपरागत मान्यताएँ और संस्कृति भी नष्ट हो जाती है, जिसके कारण शेष बचा हुआ वंश भी अधर्म और अनैतिकता की ओर अग्रसर हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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