न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ।
न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च ॥ ३१ ॥
अनुवाद
हे कृष्ण! इस युद्ध में अपने ही स्वजनों का वध करने में मुझे कोई भलाई नज़र नहीं आती, और न ही मैं इस युद्ध से किसी प्रकार की विजय, राज्य या सुख की इच्छा रखता हूँ।